Advertisement

वनों की उपयोगिता पर निबंध - Essay on Forest's Utilization in Hindi

वनों की उपयोगिता पर निबंध

प्रस्तावना 

वन प्राणियों का जन्मदाता है। इतिहास बताता है कि आदि मानव का जन्म वनों में हुआ था। नगर और ग्राम तो बहुत बाद में बसे, वनों में ही मानव जीवन की उत्पत्ति हुई मानव सभ्यता का विकास भी वनों में ही हुआ। भारतीय ऋषि मुनि वनों में रहकर तपस्या, पठन-पाठन, स्वास्थ्य की क्रियाएं में संगलन रहते थे। वनों में महान चरित्रों का निर्माण हुआ परंतु खेद का विषय है कि आज का मानव वनों को काटने और उनका विनाश करने में लगा है। 

वनों की महत्ता और उपयोगिता को भूलकर व उनको मिटाने में ही लगा है। स्वार्थ और वशीभूत अपने जन्मदाता और जीवन दाता वनों के महत्व को भूल गया है। जिसके कारण उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।  आज संपूर्ण वातावरण प्रदूषण की चपेट में है और वनों का निरंतर कटाव में वृद्धि हो रही है।

वनों की कमी के कारण

वनों की कमी का मुख्य कारण देश की बढ़ती हुई जनसंख्या है जैसे जैसे देश की जनसंख्या बढ़ती जाती है वैसे ही वैसे लोगों के रहने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होती है। उनके रहने के लिए मकान की आवश्यकता होती है मकान में लकड़ी का प्रयोग होता है। कृषि के प्रसार हेतु भी अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। उद्योगों का प्रसार होता है। 

मिलो और कारखानों का उत्पादन बढ़ाने के लिए लकड़ी और जमीन की आवश्यकता होती है।  इसी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों को निरंतर काटा जाता है उनमें भूमि लकड़ी तथा ईंधन प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार तत्काल लाभ उठाने के लिए वनों को काटने से होने वाले दुष्परिणाम का ध्यान नहीं दिया जाता है।

वनों के लाभ

वनों की हमारे जीवन में भारी उपयोगिता है। यदि वन ना हो तो मानव जीवन की सत्ता ही खतरे में पड़ जाएगी। वनों में हमें अनेक लाभ हैं संक्षेप में उनका वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है 

शांति दायक      

वनों का वातावरण अत्यंत शांत और संतोष प्रदान करने वाला होता है। प्राचीन काल में हमारे देश के महान मुनियों के तपोवन में रहकर ही कठोर तपस्याएं की और उच्च कोटि की आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया था। वेद उपनिषद जैसे पवित्र ग्रंथों की रचना बड़े-बड़े नगरों अथवा बस्तियों में नहीं वनों में ही हुई थी। इसलिए जीवन के अंतिम चरण में सन्यास आश्रम ग्रहण कर लोग शांति पूर्वक जीवन बिताने के लिए वनों में चले जाते थे। वही परमेश्वर का भजन तथा आत्मबोध की शांति का लाभ उठाते थे।

वनों से वातावरण की शुद्धि       

विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि पेड़ दूषित वायु को ग्रहण करते हैं और शुद्ध हवा ऑक्सीजन स्वांस के द्वारा बाहर निकालते हैं इस प्रकार संसार के अनेक प्राणियों के श्वाँस लेने से जो वायु दूषित हो जाती है उसे पेड़ स्वयं ही ग्रहण कर लेते हैं।और उसे शुद्ध करके बाहर निकालते हैं। इससे प्राणियों को श्वास लेने के लिए शुद्ध वायु मिलती है। वृक्षों की अनुपस्थिति में संपूर्ण वातावरण की दूषित प्राणी जगत कोई ग्रहण करनी पड़ेगी जिससे उसका जीवन ही समाप्त हो जाएगा।

वन उपयोगी वस्तुओं की प्राप्ति

वनों में हमें अनेक जीवन उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं भोजन पकाने के लिए लकड़ी तथा आश्रम के लिए मकान वनों से ही प्राप्त होते हैं । औषधियां, फर्नीचर, फल, खाद, गोंद, शहद, पुष्प, वस्त्र  सभी बने उपयोगी वस्तुएं वनों से प्राप्त होती हैं वनों की आरक्षण से जीवन की रक्षा तथा गति संभव है।

भूमि कटाव से रक्षा

वृक्ष भूमि को कटाव से बचाते हैं वर्षा के पानी से बहुत सी मिट्टी पानी के साथ बह कर नदियों और समुद्रों में चली जाती है भूमि की ऊपरी परत ही कृषि के लिए उपयोगी होती है। यह मिट्टी बह जाए तो भूमि की उपजाऊ शक्ति समाप्त हो जाती है। वृक्षों की जड़ें भूमि में गहरे जाकर मिट्टी को जकड़ लेती है और मिट्टी पानी के साथ नहीं बहती है।

वन के कारण वर्षा

जिन प्रदेशों में वृक्ष अधिक होते हैं वहां वर्षा अधिक होती है जहां वृक्ष नहीं होते वहां वर्षा का अभाव होता है। यही कारण है कि हिमालय की ढलान पर काफी वर्षा होती है और राजस्थान में प्रायः वर्षा का अभाव सा रहता है और  वर्षा का अधिक से अधिक होना कृषि के लिए लाभदायक है। वृक्ष और वनों को काटना राजस्थान को रेगिस्तान बनाना है।

उपसंहार 

वन संरक्षण को सर्वाधिक महत्व दिया जाना चाहिए। सरकार भी अब इस दिशा में प्रयत्नशील हो गई है। सामाजिक चेतना का भी विकास हो रहा है। हमें सबसे पहले जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।,वृक्षों का महत्व समझाना होगा, प्रत्येक व्यक्ति को बेच लगना एवं उसका संरक्षक करना चाहिए वनों में वृद्धि से हमारा जीवन हर दृष्टि से संतुलित बन सकेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ