प्रस्तावना
मानव जीवन सदा से ही पर्यावरण से प्रभावित रहा है। उसे अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित पर्यावरण की आवश्यकता रही है। संतुलित पर्यावरण से तात्पर्य है पर्यावरण संबंधित सभी स्वास्थ्य वर्धक आवश्यक तत्वों का निश्चित अनुपात में रहना ।
किंतु जब इसमें विषैले तत्वों की अथवा किसी एक तत्व की की अधिकता या कमी हो जाती है तो पर्यावरण में संतुलन पैदा हो जाता है इसे ही पर्यावरण का दूषित होना अथवा पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।
प्रदूषण बढ़ने के कारण
प्रदूषण का जन्म अंधाधुन वैज्ञानिक प्रगति के कारण हुआ है। जब से मनुष्य ने प्राकृतिक के साथ मनचाहे छेड़छाड़ की है तब से प्राकृतिक मनुष्य पर प्रदुषण का खतरा बढ़ गया है । मनुष्य ने अपने घर सुंदर बनाने के लिए पेड़ काटे, पहाड़ थोड़े, हरियाली के बजाय ईंट, बजरी और तारकोल बनाए दिन रात कारखाने चलाने के लिए विद्युत गृह और तापमान घर बनाये, परमाणु भट्ठियां और प्लास्टिक जैसी घातक वस्तुओं का निर्माण किया । परमाणु हथियारों, बमों और कीटकनाशक मे पूर्णतया संगलन रहा विनाश की समस्त वस्तुएं उसने बना डाली। इन सबका परिणाम यह हुआ कि वातावरण में जहर घुल गया।
प्रदूषण के परिणाम
मनुष्य की इस अंधाधुन प्रगति का दुष्परिणाम यह हुआ कि सभी परिवेश जीवन घातक तत्वों से भर गया है वायु में कार्बन डाइऑक्साइड, कारखानों का धुआं, तेजाबी रसायन, विषैली गैसों, रेडियो एक्टिव किरणे, खतरनाक जीवनाशक तत्व असंतुलित रूप से घुल गए हैं।
प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है वायु प्रदूषण जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण
वायु प्रदूषण
महानगरों में वायु प्रदूषण सर्वाधिक है यहां व्यक्ति स्वच्छ वायु में सांस लेने को तरस गया है। कल कारखानों में 24 घंटे विषैली धुआं निकलता रहता है, सड़कों पर चलने वाले वाहन भी काफी धुआं छोड़ते हैं और वायु प्रदूषण फैलाते हैं।
इसके कारण सांस लेने और फेफड़ों में अनेक रोग फैलते हैं। वायु प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, त्वचा में एलर्जी, सांस लेने में तकलीफ, प्लेग, डेंगू आदि कितनी ही जानलेवा बीमारियां जन्म ले रही हैं। वायु प्रदूषण की समस्याओं का निदान खोजना होगा। वातावरण में शुद्ध हवा के लिए अधिकाधिक वृक्षों को लगाना चाहिए।
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण का प्रमुख कारण है नदियों में कल कारखानों से प्रदूषित अवशिष्ठ जल का बहाया जाना। कारखानों में अनेक प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है यह रसायन तथा रासायनिक जल मानव के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। इससे बचाव के उपाय प्रयोग में लाने जाने अनिवार्य किए जाने चाहिए। कारखानों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए, नदियों में मृतकों के शौक बहाने से भी रोका जाना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण
वायुमंडल को शांत बनाए रखना भी अत्यंत आवश्यक है आजकल वाहनों अनेक हॉर्न, लाउडस्पीकर और कारखानों में मशीनों के शोर इस सबसे रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरेपन आदि की बीमारियां बढ़ रही है।
भूमि प्रदूषण
औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नहीं होता है वह जमीन पर फैला रहता है हालांकि इसकी रीसायकल तथा पुन उपयोग के कई प्रयास किए जाते हैं पर इसमें कोई खास सफलता नहीं मिलती है। इसी तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मक्खी और दूसरे कीड़े पनपने लगते हैं जो मनुष्य तथा दूसरे जीवो को कई तरह की बीमारियों के कारण बनते हैं।
थर्मल प्रदूषण
कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रूप में किया जाता है जो कि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीव को तापमान परिवर्तन और पानी में ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
दृश्य प्रदूषण
मनुष्य द्वारा बनाई गई वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती हैं वह दृष्टि प्रदूषण कहलाती हैं। दृष्टि प्रदूषण के अंतर्गत जैसे कि बिलबोर्ड एंटीना कचरे का डिब्बा इलेक्ट्रिक पोल टावर तार वाहन बहुमंजिला इमारतें आदि हैं।
उपसंहार
प्रदूषण की समस्या का निवारण करने के लिए आवश्यक कदम उठाने जरूरी है। सबसे पहले बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा। प्राकृतिक वातावरण को शुद्ध बनाए रखने में सहायक रही है इसलिए अधिकाधिक पेड़ को लगाने होंगे कारखानों में प्रदूषित जल और धोने के निष्कासन का उपाय खोजना होगा और सबसे बड़ी बात यह है कि सादगीपूर्ण जीवन यापन करना होगा। जीवन में कृतिम लाने का ही परिणाम है यह प्रदूषण विकराल रूप में हमारे सामने खड़ा है।
प्रदूषण पर निबंध 300 शब्दों में
हम सभी को बचपन में एक बात जरूर बताई जाती है कि अब मैं ऑक्सीजन पेड़ पौधों से मिलती है ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले में लगातार बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। हम लोग प्रदूषण से हमारा तत्पर है कि हवा पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना जो प्रदूषण को जन्म देता है।
प्रदूषण के नुकसान
आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीजें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वही सबसे ज्यादा खतरे में है। प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान प्राकृतिक को हो रहा है।
हवा, पानी, मिट्टी में अनचाहे तत्त्व गुल कर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्राकृतिक और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु पक्षियों, पेड़ पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ को हानी पहुंचाई जा रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है उसे जल्द से जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।
प्रदूषण के कारण और बचाव
प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण है। जिनमें पेड़ पौधों की कटाई। बढ़ते उद्योग फैक्ट्रियां। मशीनें आदि शामिल है। पर्यावरण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या की तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है।
यह वायु, जल, मृदा आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने होंगे और अपने आसपास साफ सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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