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Internet Kya Hai - इंटरनेट क्या है ?

क्या आप जानते है इंटरनेट क्या है (Internet Kya Hai) और इंटरनेट की खोज किसने की। इंटरनेट इसका पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है। जिसे वर्ष 1950 में विंट कर्फ़ ने शुरू किया था जिन्हे इंटरनेट का पिता कहा जाता है 


इंटरनेट नेटवर्कओं का एक नेटवर्क है जिसमें लाखों निजी और सार्वजनिक स्कोप वाले नेटवर्क होते हैं इंटरनेट कम्युनिकेशन का एक महत्वपूर्ण अध्यक्ष माध्यम है काफी लोकप्रियता अर्जित की है 

इंटरनेट के माध्यम से लाखों व्यक्ति सूचनाओं, विचारों, ध्वनि वीडियो क्लिप्स इत्यादि को कंप्यूटर के जरिए पूरी दुनिया में एक दूसरे के साथ शेयर करते हैं या विभिन्न प्रकारों प्रकारों के नेटवर्क से मिलकर बना होता है

Internet Kya Hai -  इंटरनेट क्या है ?

क्या आप जानते हैं इंटरनेट क्या है। यह नेटवर्कों का एक नेटवर्क है या दुनिया भर से सार्वजनिक रूप से सुलभ एक इंटरकनेक्टेड नेटवर्क है। इंटरनेट वर्ल्ड वाइड वेब, ईमेल, ऑनलाइन चैट, सर्च, सर्च इंजन और कई तरह की सेवाएं प्रदान करता है। 

इंटरनेट एक नेटवर्क जाल होता है जो ग्लोबल स्तर पर सभी कम्प्यूटरों को इंटरकनेक्ट करता है। इंटरनेट एक Wide Area Network है जो किसी इंटरनेट यूजर को वेब पर storage किसी भी डाटा या इनफार्मेशन को एक्सेस करने की सुविधा देता है। 

इसके द्वारा कई तरह की services हैं जैसे - Email, web portal, chat, social networking, blogging और online transaction इत्यादि। 

इंटरनेट पर उपलब्ध डाटा प्रोटोकॉल द्वारा नियंत्रित किया जाता है टीसीपी फ्लैश आईपी द्वारा एक फाइल को कई छोटे भागों में बांटा जाता है , जिन्हें पैक आ जाता है पर सभी कंप्यूटर आपस में इसी प्रकार प्रोटोकॉल का प्रयोग करके वार्तालाप करते हैं

इंटरनेट का विकास 

इंटरनेट का वर्तमान विकसित रूप वर्ष 1960 से नेटवर्किंग के निरंतर विकास का परिणाम है। 50 और 60 के दशक में, अमेरिकी रक्षा विभाग ने कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने के उद्देश्य से DARPA (Defense Advanced Research Projects Agency) की स्थापना की, जिसका मुख्य लक्ष्य तकनीकी उत्कृष्टता है। हासिल किया जाना था।

DARPA को प्रारंभ में ARPA के संक्षिप्त नाम से जाना गया था। अक्टूबर 1962 में DARPA औपचारिक रूप से कंप्यूटर नेटवर्किंग में जुट गई. इस नेटवर्क प्रोजेक्ट के अंतर्गत ARPANET (Advanced Research Agency Network) का पहला लिंक 21 नवंबर 1969 को कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय एवं स्टैंडर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के मध्य स्थापित हुआ।

5 दिसंबर 1969 तक इस नेटवर्क के चार नोड स्थापित हो गए वर्ष 1972 में इस प्रोजेक्ट का आधिकारिक नाम ALOTTANET से बदलकर ARPANET ही कर दिया गया और ARPANET का संपूर्ण विकास RFC (Request फॉर Comment Process) के ऊपर केंद्रित था जिसका प्रयोग आज भी इंटरनेट protocal में हो रहा है. इसमें प्रयोग होने वाला हॉस्ट सॉफ्टवेयर RFC1 है जिसे कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के स्टीव फ्रोकर के द्वारा अप्रैल 1969 में लिखा गया. 

ARPANET का अमेरिका से बाहर पहला नेटवर्क संयोजन NORSAR था जो अमेरिका एवं नार्वे के बीच वर्ष 1973 में स्थापित हुआ था वर्ष 1984 से लेकर 1988 तक CERN ने TCP/IP को अपने सभी मुख्य कंप्यूटर और वर्कस्टेशनों में इंस्टॉल कर लिया था एशिया में इंटरनेट का चलन वर्ष 1980 के बाद शुरू हुआ


इंटरनेट का उपयोग - Advantage of internet

इंटरनेट के उपयोग करता कई प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है जैसे इलेक्ट्रॉनिक मेल मीडिया डिस्प्ले रियल टाइम से ब्रॉडकास्टिंग इत्यादि में सब कुछ महत्वपूर्ण सेवाएं हैं

Chatting

यह लिखित स्तर पर उपयोग होने वाला टेक्स्ट आधारित कम्युनिकेशन है जिससे इंटरनेट पर आपस में बातचीत कर सकते हैं इस तुमसे हम एक दूसरे को इमेज वीडियो ऑडियो इत्यादि एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं।

उदाहरण  – skype whatsapp, facebook etc

Video conferencing

वीडियो  कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह  के साथ दूर होते हुए भी आमने-सामने से वार्तालाप कर सकते हैं। इस कम्युनिकेशन में high speed  इंटरनेट कनेक्शन की  जरुरत होती है व इसके साथ एक कैमरे, एक माइक्रोफोन, एक वीडियो स्क्रीन तथा एक साउंड सिस्टम की भी जरूरत होती है।

Online learning

इसके अंतर्गत कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण, इंटरनेट आधारित प्रशिक्षण, ऑनलाइन  शिक्षा इत्यादि संबंधित है उपयोगकर्ता को किसी विषय पर आधारित जानकारी को इलेक्ट्रिक रूप में प्रदान किया जाता है इस जानकारी को वह  किसी भी आउटपुट माध्यम पर देख कर अपने आप  को प्रशिक्षित कर सकता है यह कंप्यूटर इंटरनेट से ज्ञान को प्राप्त करने का माध्यम है।

Online banking

 इसके माध्यम से उपयोगकर्ता विश्व भर में कहीं से भी अपने बैंक अकाउंट को मैनेज कर सकते हैं यह स्वचालित प्रणाली का अच्छा उदाहरण है जिसमें उपयोगकर्ता की गतिविधियों पैसे निकालने, ट्रांसफर करने, मोबाइल रिचार्ज करने इत्यादि के साथ उसका बैंक अकाउंट भी मैनेज होता रहता है हमसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पीसी मोबाइल आदि पर इंटरनेट की सहायता से हम अपने बैंक अकाउंट को कहीं से भी आसानी से मैनेज कर सकते हैं

Online shopping

इससे हम ऑनलाइन शॉपिंग  भी कर सकते हैं जिसके  माध्यम से उपयोग कोई भी सामान जैसे किताबे, कपड़े, घरेलू सामान, खिलौने, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर तथा  हेल्थ इंश्योरेंस इत्यादि को खरीद सकता है खरीदे गए सामान की कीमत चुकाने के लिए ऑनलाइन भुगतान करना होता है। कंप्यूटर पर वेबसाइट से या किसी एप्लीकेशन के माध्यम से हम  भुगतान कर सकते हैं यह  विश्व भर में कहीं से भी किया जा सकता है।

Online reservation

यह किसी भी वेबसाइट और एप्लीकेशन के माध्यम से हम  किसी भी वस्तु या सेवा के लिए स्वयं को या किसी और व्यक्ति को आरक्षित करने के लिए प्रयुक्त होती है। जैसे रेलवे रिजर्वेशन, एयरवेज, टिकट बुकिंग और  होटल रूम की बुकिंग इत्यादि में। इसकी  सहायता से उपयोगकर्ता को टिकट काउंटर पर  घंटो खड़े रहकर प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं होती इसे इंटरनेट के माध्यम से किसी भी जगह से किया जा सकता है।

Entertainment

इंटरनेट के माध्यम से और सस्ता डाटा पैक और 4G स्पीड के आ जाने से हमें मोबाइल या कंप्यूटर पर किसी भी फिल्मों को और सीरियल को देख सकते हैं जिओ के आ जाने से यह काफी आसान हो गया है हम यूट्यूब से मूवीस का आनंद ले सकते हैं

Health checkup

आजकल इंटरनेट के माध्यम से बहुत कुछ आसान हो गया है इसके माध्यम से हम ऑनलाइन किसी डॉक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हम अपनी समस्या  बताकर उस डॉक्टर से  सलाह ले सकते हैंऔर अपने को ठीक कर  सकते हैं और अगर नार्मल हेल्थ समस्या है तो हम यूट्यूब पर सर्च करके हम इसका समाधान कर सकते हैं 

इंटरनेट की हानियाँ Disadvantages of Internet

इंटरनेट की हानियाँ निम्नलिखित हैं 

  • कंप्यूटर में वायरस के लिए यह सर्वाधिक उत्तरदायी होते हैं। 
  • इंटरनेट पर भेजे गए संदेशो को सरलता से चुराया जा सकता है।
  • बहुत-सी सूचनाएँ जाँची नहीं जाती, जो गलत या असंगत भी हो सकती हैं। 
  • साइबर धोखेबाज़ क्रेडिट/डेबिट कार्ड की समस्त सूचना को चुराकर उसे गलत तरीके से प्रयोग कर सकते हैं। 
  • इंटरनेट के माध्यम से कोई भी फोटो या वीडियो गंदे तरीके से वायरल हो सकता है। 

डोमेन नेम सिस्टम Domain Name System

डोमेन नेम सिस्टम का कार्य इंटरनेट के IP Address और नामों की सूचना रखना है।  जैसे ही कोई नाम कंप्यूटर से जुड़ने के लिए कहता है, तो सबसे पहले डोमेन नेम सिस्टम उस विशेष नाम का address ढूढ़ता है और फिर उस IP Address के कंप्यूटर से संपर्क बनाया जाता है। 

इंटरनेट का इतिहास - History of internet in Hindi

क्या आप जानते है इंटरनेट का इतिहास क्या है आइये हम जानते है। कंप्यूटर के शुरुआती दिनों में नेटवर्किंग की कोई अवधारणा नहीं थी। कंप्यूटर पर्सनल सिस्टम थे। फिर नेटवर्किंग की अवधारणा आई और कुछ कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े हुए थे। 

इंटरनेट का प्रारंभिक विकास 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा शुरू किया गया था जिसे एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी या ARPA कहा जाता है।

यह एजेंसी अपने सैन्य उपयोग के लिए ARPANET नामक एक विश्वसनीय कंप्यूटर नेटवर्क बनाती है जिसने आज के इंटरनेट की नींव रखी। केबल लाइनों का उपयोग करके कंप्यूटरों का नेटवर्क बनाया गया और फिर धीरे-धीरे इस उद्देश्य के लिए टेलीफोन लाइनों का उपयोग किया जाने लगा।

यह पहला अंतरराष्ट्रीय पैकेट स्विच नेटवर्क 1978 में ब्रिटिश पोस्ट ऑफिस, वेस्टर्न यूनियन इंटरनेशनल और टाइमनेट द्वारा बनाया गया था। 

3 साल की छोटी सी अवधि में यह नेटवर्क इतना लोकप्रिय हो गया और इतनी तेज गति से विकसित हुआ कि 1981 तक हमारे, कनाडा, यूरोप, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इसका हिस्सा बन गए। संचार के नियम भी लोकप्रिय TCP/IP में बदल गए

व्यापक सार्वजनिक उपयोग के कारण, अमेरिकी सैन्य अनुपात ARPANET को 1980 में MILNET के रूप में मुख्य नेटवर्क से अलग कर दिया गया था। 

नेशनल साइंस फाउंडेशन ने मुख्य रूप से इंजीनियरिंग और अनुसंधान के लिए NSFNET के रूप में एक अलग नेटवर्क बनाया और 1986 तक लोकप्रिय हो गया।

विश्वविद्यालय और अन्य छोटे नेटवर्क शामिल हो गए। 1990 के दशक की शुरुआत में इंटरनेट का जन्म हुआ, जिसमें ARPANET, NSFNet और छोटे निजी नेटवर्क की नेटवर्किंग शामिल थी। महान विकास शुरू हो गया था।

1991 में, HTML और HTTP को Tim Berners-Lee  द्वारा CERN वेब ब्राउज़र में 1993 में नेटस्केप से उपलब्ध कराया गया, जिससे इंटरनेट आम आदमी के बीच लोकप्रिय हो गया। पर्सनल कंप्यूटर के लॉन्च से इंटरनेट यूजर्स में इतनी जबरदस्त छलांग देखने को मिली कि उसके बाद से पीछे मुड़कर देखने की नौबत नहीं   आई।

WWW (World Wide Web) क्या है ?

वर्ल्ड वाइड वेब (WWW ) इंटरनेट का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है जिस  पर सभी विषयों से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध होती हैं वेब या  वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट पर उपलब्ध इंटरकनेक्टेड डॉक्यूमेंट या पेजेज  पर रिसोर्सेज और एक अन्य रिसोर्सेस का एक  समूह है

पेजेज  या  डॉक्यूमेंट को हाइपरलिंक्स द्वारा इंटरकनेक्टेड किया जाता है इंटरकनेक्टेड पेजेज को वेब पेजेज (Web Pages) कहा जाता है और इन्हीं वेब पेजेस को समूह को वेबसाइट (Website) कहा जाता है 

एक वेब पेज वर्ल्ड वाइड वेब पर  देखने के लिए वेब ब्राउजर (Web  Browser ) सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है वेब ब्राउज़र एक प्रकार का क्लाइंट सॉफ्टवेयर  है 

वेब ब्राउज़र पर पेज का एड्रेस या URL ( Uniform Resource Locator) टाइप करके वेबसाइट को देखा जाता है वेब पेज  से संपर्क करने के लिए HTTP (HyperText Transfer Protocol) का उपयोग किया जाता है

HTTP एक प्रकार का प्रोटोकाल है जिसमें इंटरनेट पर सेवा प्रदान करने वाला कंप्यूटर वेब सर्वर  (Web Server)  तथा उपयोग करने वाला वेब क्लाइंट (Web client ) कहलाता है प्रत्येक वेब पेजेज HTML (HyperText Markup Language)  में लिखा होता है

इंटरनेट कहाँ से आता है ?

इंटरनेट नेटवर्क का एक नेटवर्क है, सभी कंप्यूटर सीधे इंटरनेट से नहीं जुड़े होते हैं। पर्सनल कंप्यूटर छोटे नेटवर्क से जुड़े होते हैं। ये छोटे नेटवर्क बड़े नेटवर्क से जुड़े होते हैं। अंततः ये बड़े नेटवर्क गेटवे नामक विशेष नेटवर्क उपकरण के माध्यम से हाई-स्पीड इंटरनेट बैकबोन से जुड़े होते हैं।

गेटवे एक विशेष नेटवर्क डिवाइस है जिसका उपयोग पूरी तरह से अलग नेटवर्क को जोड़ने के लिए किया जाता है। एक इंटरनेट बैकबोन कनेक्शन इंटरनेट का एक केंद्रीय हाई-स्पीड ट्रंक है। 

इसमें परस्पर जुड़े हुए व्यक्तिगत घरेलू, शैक्षिक व्यवसाय और सरकारी नेटवर्क की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। राउटर नामक एक इंटरकनेक्टिंग डिवाइस दो या दो से अधिक नेटवर्क के बीच सबसे अच्छा पथ निर्धारित करके डेटा प्रसारित करता है

इंटरनेट का मालिक कौन है ?

इंटरनेट एक साथ हजारों नेटवर्क के नेटवर्किंग द्वारा बनाया गया है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि संपूर्ण रूप से इंटरनेट पर किसी का स्वामित्व नहीं हो सकता है। इसलिए इंटरनेट का कोई {शासी निकाय} नहीं है। इसके बजाय, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का एक संगठन है जिसे इंटरनेट सोसाइटी (ISOC) कहा जाता है। स्वयंसेवी स्वयंसेवकों को इस संगठन में शामिल किया गया है।

इस निकाय का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट के माध्यम से वैश्विक सूचना विनिमय के समन्वय और मार्गदर्शन में मदद करना है। इंटरनेट आर्किटेक्चर बोर्ड (IAB) के रूप में जाना जाने वाला एक अन्य निकाय है, जिसमें (ISOC) नियुक्त व्यक्ति शामिल हैं। 

IAB इंटरनेट के कामकाज के तकनीकी प्रबंधन और दिशा के लिए जिम्मेदार है। इसके दो टास्क फोर्स हैं, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) और इंटरनेट रिसर्च टास्क फोर्स (IRTF)। यह निकाय इंटरनेट की तकनीकी समस्याओं को देखता है और उनकी जांच करता है और नई सेवाएं भी जोड़ता है। 

यह समूह इंटरनेट के साथ संचार और काम करने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक के मानकीकरण के लिए भी जिम्मेदार है। इन मानकों को जरूरत पड़ने पर विकसित किया गया था, जिसमें इच्छुक व्यक्तियों के बहुत सारे इनपुट थे। 

वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम (W3C)। इसका प्रबंधन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की प्रयोगशाला द्वारा किया जाता है। यह वेब के आगे विकास के लिए मानकों को विकसित करने में मदद करता है।

 


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